adopt these 7 measures to avoid sore throat

गले की खराश में कांटे जैसी चुभन, खिचखिच और बोलने में तकलीफ (Throat Pain And Soreness) जैसी समस्याएं आती हैं। ऐसा बैक्टीरिया और वायरस के कारण होता है। कई बार गले में खराश की समस्या एलर्जी (Allergy) और धूम्रपान के कारण भी होती है। गले के कुछ संक्रमण तो खुद-ब-खुद ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में इलाज की ही जरूरत पड़ती है। आइये जाने इन तरीकों को –

  • गरम पानी और नमक के गरारे
  • लहसुन का उपयोग
  • भाप लेना
  • लाल मिर्च का पेय
  • लौंग का प्रयोग
  • अदरक का सेवन
  • मसाला चाय

1. गरम पानी और नमक के गरारे :-

जब गले में खराश होती है तो सांस झिल्ली की कोशिकाओं में सूजन हो जाती है। नमक इस सूजन को कम करता है जिससे दर्द में राहत मिलती है। उपचार के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक बड़ा चम्मच नमक मिलाकर घोल लें और इस पानी से गरारे करें। इस प्रक्रिया को दिन में तीन बार करें।

2. लहसुन :-

लहसुन इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है। इसलिए गले की खराश में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन में मौजूद एलीसिन जीवाणुओं को मारने के साथ ही गले की सूजन और दर्द को भी कम करता है। उपचार के लिए गालों के दोनों तरफ लहसुन की एक एक कली रखकर धीरे धीरे चूसते रहें। जैसे जैसे लहसुन का रस गले में जाएगा वैसे वैसे आराम मिलता रहेगा।

3. भाप लेना :-

कई बार गले के सूखने के कारण भी गले में इंफेक्शन की शिकायत होती है। ऐसे में किसी बड़े बर्तन में गरम पानी करके तौलिया से मुंह ढककर भाप लें। ऐसा करने से भी गले की सिकाई होगी और गले का इंफेक्शन भी खत्म होगा। इस क्रिया को दिन में दो बार किया जा सकता है।

4. लाल मिर्च :-

गले की खराश को ठीक करने के लिए लाल मिर्च भी बेहद फायदेमंद है। उपचार के लिए एक कप गरम पानी में एक चम्मच लाल मिर्च और एक चम्मच शहद मिलाकर पीएं।

5. लौंग :-

लौंग का इस्तेमाल उपचार के लिए सदियों से होता आ रहा है। गले की खराश के उपचार के लिए लौंग को मुंह में रखकर धीरे धीरे चबाना चाहिए। लौंग एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है जो गले के इंफेक्शन और सूजन को दूर करती है।

6. अदरक :-

अदरक भी गले की खराश की बेहद अच्छी दवा है। अदरक में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण गले के इंफेक्शन और दर्द से राहत देते हैं। गले की खराश के उपचार के लिए एक कप पानी में अदरक डाल कर उबालें। इसके बाद इसे हल्का गुनगुना करके इसमें शहद मिलाएं। इस पेय को दिन में दो से तीन बार पीएं। गले की खराश से आराम मिलेगा।

7. मसाला चाय :-

लौंग, तुलसी, अदरक और काली मिर्च को पानी में डालकर उबालें, इसके बाद इसमें चाय पत्ती डालकर चाय बनाएं। इस चाय को गरम गरम ही पीएं। यह भी गले के लिए बेहद लाभदायक उपाय है जिससे गले की खराश में तुरंत आराम मिलता है।

गले की खराश हो तो आपको बचना है इनसे –

1 ज्यादा तली हुई चीजों का सेवन

ज्यादा तला-भुना खाना आपके गले को दिक्कत दे सकता है, क्योंकि इनमें तय मात्रा से ज्यादा मसाला और ऑयल होता है। ये दोनों ही चीजें आपके गले को खराब कर सकती हैं। इस दौरान शरीर कमजोर हाेता है, इसलिए जरूरी है कि डीप फ्राईड चीजों की बजाए संतुलित और सादा भोजन लें।

2 ठंडी चीजों से बचें

गर्मियों के मौसम में कूलिंग ड्रिंक्‍स और आइसक्रीम के लिए आपकी क्रेविंग कितनी बढ़ जाती है, पर हमारी दादी-नानी के समय से यह हिदायत दी जा रही है कि जब गला खराब हो तो ठंडी चीजों से परहेज करना चाहिए।

3 दूध सेवन न करें

आपको बता दें खांसी में दूध या दूध से बनी चीज़ों का सेवन आपके कफ को बढ़ाता है और ये आपकी सेहत के लिए भी काफी भी हानिकारक हो सकता है। दूध का सेवन आपके गले और फेफड़ों के लिए अच्छा नहीं होता। ये आपको इन दोनों से जुड़ी समस्या दे सकता है। गले में खराश या इर्रिटेशन होने पर बेहतर है कि आप दूध में हल्‍दी डाल कर पिएं। यह आपकी इम्‍युनिटी बढ़ाने में भी मददगार होगा।

इन्द्रायण

परिचय (Introduction)

इन्द्रायण के आयुर्वेदिक इलाज: इन्द्रायण (Colocynth) एक लता होती है, जो पूरे भारत के बलुई क्षेत्रों में खेतों में उगाई जाती है। इन्द्रायण, 3 प्रकार की होती है। पहली छोटी इन्द्रायण, दूसरी बड़ी इन्द्रायण और तीसरी लाल इन्द्रायण होती है। तीनों प्रकार की इन्द्रायन में लगभग 50 से 100 फल तक आते हैं।

गुण (Property)

यह दस्तावर, कफ-पित्तनाशक है । यह कामला (पीलिया), प्लीहा (तिल्ली), पेट के रोग, श्वांस (दमा), खांसी, सफेद दाग, गैस, गांठ, व्रण (जख्म), प्रमेह (वीर्य विकार), गण्डमाला (गले में गिल्टी का हो जाना) तथा विष को नष्ट करता है। ये गुण छोटी और बड़ी दोनों इन्द्रायण में होते हैं।

हानिकारक प्रभाव (Harmful effects)

इन्द्रायण का सेवन बड़ी ही सावधानी से करना चाहिए। क्योंकि इसके ज्यादा और अकेले सेवन करने से पेट में मरोड़ पैदा होता है और शरीर में जहर के जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

इन्द्रायण का विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)

बालों को काला करना:

इन्द्रायण के बीजों का तेल नारियल के तेल के साथ बराबर मात्रा में लेकर बालों पर लगाने से बाल काले हो जाते हैं। इन्द्रायण की जड़ के 3 से 5 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध के साथ सेवन करने से बाल काले हो जाते हैं। परन्तु इसके परहेज में केवल दूध ही पीना चाहिए। सिर के बाल पूरी तरह से साफ कराके इन्द्रायण के बीजों का तेल निकालकर लगाने से सिर में काले बाल उगते हैं। इद्रायण के बीजों का तेल लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

बहरापन (कान से न सुनाई देना):

इन्द्रायण के पके हुए फल को या उसके छिलके को तेल में उबालकर और छानकर पीने से बहरापन दूर होता है।

दांत के कीड़े:

इसके पके हुए फल की धूनी दान्तों में देने से दांत के कीड़े मर जाते हैं।

अपस्मार (मिर्गी):

इन्द्रायण की जड़ के चूर्ण को नस्य (नाक में डालने से) दिन में 3 बार लेने से अपस्मार (मिर्गी) रोग दूर हो जाता है।

कास (खांसी):

इन्द्रायण के फल में छेद करके उसमें कालीमिर्च भरकर छेद को बंद करके धूप में सूखने के लिए रख दें या गर्म राख में कुछ देर तक पड़ा रहने दें, फिर काली मिर्च के दानों को रोजाना शहद तथा पीपल के साथ एक सप्ताह तक सेवन करने से कास (खांसी) के रोग में लाभ होता है।

स्तन के कष्ट:

स्त्रियों के स्तन में सूजन आ जाने पर इन्द्रायण की जड़ को घिसकर लेप करने से लाभ होता है।

पेट दर्द:

इन्द्रायण का मुरब्बा खाने से पेट के रोग दूर होते हैं। इन्द्रायण के फल में काला नमक और अजवायन भरकर धूप में सुखा लें, इस अजवायन की गर्म पानी के साथ फंकी लेने से दस्त के समय होने वाला दर्द दूर हो जाता है।

विसूचिका:

विसूचिका (हैजा) के रोगी को इन्द्रायण के ताजे फल के 5 ग्राम गूदे को गर्म पानी के साथ या इसके 2 से 5 ग्राम सूखे गूदे को अजवायन के साथ देना चाहिए।

मूत्रकृच्छ (पेशाब में दर्द और जलन):

इन्द्रायण की जड़ को पानी के साथ पीसकर और छानकर 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से पेशाब करते समय का दर्द और जलन दूर हो जाती है।
10 से 20 ग्राम लाल इन्द्रायण की जड़, हल्दी, हरड़ की छाल, बहेड़ा और आंवला को 160 मिलीलीटर पानी में उबालकर इसका चौथाई हिस्सा बाकी रह जाने पर काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में दर्द और जलन) का रोग समाप्त हो जाता है।

मासिक-धर्म की रुकावट:

मासिक-धर्म के रुक जाने पर 3 ग्राम इन्द्रवारूणी के बीज और 5 दाने कालीमिर्च को एक साथ पीसकर 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को छानकर रोगी को पिलाने से रुका हुआ मासिक धर्म दुबारा शुरू हो जाता है। इन्द्रायण की जड़ को योनि में रखने से योनि का दर्द और पुष्पावरोध (मासिक-धर्म का रुकना) दूर होता है।

आंतों के कीड़े:

इन्द्रायण के फल के गूदे को गर्म करके पेट में बांधने से आंतों के सभी प्रकार के कीड़े मर जाते हैं।

विरेचन (दस्त लाने वाला):

इन्द्रायण की फल मज्जा को पानी में उबालकर और छानकर गाढ़ा करके छोटी-2 चने के आकार की गोलियां गोलियां बना लेते हैं। इसकी 1-2 गोली ठण्डे दूध से लेने से सुबह साफ दस्त शुरू हो जाते हैं।

जलोदर (पेट में पानी की अधिकता):

इन्द्रायण के फल का गूदा तथा बीजों से खाली करके इसके छिलके की प्याली में बकरी का दूध भरकर पूरी रात भर के लिए रख दें। सुबह होने पर इस दूध में थोड़ी-सी चीनी मिलाकर रोगी को कुछ दिनों तक पिलाने से जलोदर मिट जाता है। इन्द्रायण की जड़ का काढ़ा और फल का गूदा खिलाना भी लाभदायक है, परन्तु ये तेज औषधि है।

citrullus-colocynthis-fruit - इन्द्रायण के आयुर्वेदिक इलाज

इन्द्रायण की जड़ की छाल के चूर्ण में सांभर नमक मिलाकर खाने से जलोदर समाप्त हो जाता है। इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम ग्राम को सोंठ और गुड़ के साथ सुबह और शाम देने से लाभ होता है।

ध्यान रहे कि अधिक मात्रा में सेवन करने से विषाक्त (जहर) बन जाता है और हानि पहुंचाता है। इन्द्रायण को लेने से लीवर (यकृत) की वृद्धि के कारण पेट का बड़ा हो जाने की बीमारी में लाभ होगा।

उपदंश (सिफलिस):

100 ग्राम इन्द्रायण की जड़ को 500 मिलीलीटर एरण्ड के तेल में डालकर पकाने के लिए रख दें। पकने पर जब तेल थोड़ा बाकी रह जाये तो इस 15 मिलीलीटर तेल को गाय के दूध के साथ सुबह-शाम पीने से उपदंश समाप्त हो जाता है।
इन्द्रायण की जड़ों के टुकड़े को 5 गुना पानी में उबाल लें। जब उबलने पर तीन हिस्से पानी बाकी रह जाए तो इसे छानकर उसमें बराबर मात्रा में बूरा मिलाकर शर्बत बनाकर पीने से उपदंश और वात पीड़ा मिटती है।

सुख प्रसव:

इन्द्रायण की जड़ को पीसकर गाय के घी में मिलाकर भग (योनि) पर मलने से प्रसव आसानी से हो जाता है। इन्द्रायण के फल के रस में रूई का फाया भिगोकर योनि में रखने से बच्चा आसानी से हो जाता है। इन्द्रायण की जड़ को बारीक पीसकर देशी घी में मिलाकर स्त्री की योनि में रखने से बच्चे का जन्म आसानी से होता है।

सूजन:

इन्द्रायण की जड़ों को सिरके में पीसकर गर्म करके शोथयुक्त (सूजन वाली जगह) स्थान पर लगाने से सूजन मिट जाती है। शरीर में सूजन होने पर इन्द्रायण की जड़ को सिरके में पीसकर लेप की तरह से शरीर पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है। इन्द्रायण को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। 200 मिलीलीटर पानी में 50 ग्राम धनिये को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसके बाद इन्द्रायण के चूर्ण को इस काढ़े में मिलाकर शरीर पर लेप की तरह लगाने से सूजन खत्म हो जाती है।

संधिगत वायु (घुटनों वायु का प्रकोप):

इन्द्रायण की जड़ और पीपल के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर गुड़ में मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करने से संधिगत वायु दूर होती है। 500 मिलीलीटर इन्द्रायण के गूदे के रस में 10 ग्राम हल्दी, काला नमक, बड़े हुत्लीना की छाल डालकर बारीक पीस लें, जब पानी सूख जाए तो चौथाई-चौथाई ग्राम की गोलियां बना लें। एक-एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ देने से सूजन तथा दर्द थोड़े ही दिनों में अच्छा हो जाता है।

गर्भधारण (गर्भ ठहराने के लिए):

इन्द्रायण की जड़ों को बेल पत्रों के साथ पीसकर 10-20 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पिलाने से स्त्री गर्भधारण करती है।

बिच्छू विष:

इन्द्रायण के फल का 6 ग्राम गूदा खाने से बिच्छू का (विष) जहर उतरता है।

सर्पदंश (सांप के काटने) पर:

3 ग्राम बड़ी इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण पान के पत्ते में रखकर खाने से सर्पदंश में लाभ मिलता है।

बच्चों के डिब्बा (पसली के चलने पर):

बच्चों के डिब्बा रोग (पसली चलना) में इसकी जड़ के 1 ग्राम चूर्ण में 250 मिलीग्राम सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है।

कान के घाव:

लाल इन्द्रायण के फल को पीसकर नारियल के तेल के साथ गर्म करके कान के अन्दर के जख्म पर लगाने से जख्म साफ होकर भर जाता है।

सिर दर्द:

इन्द्रायण के फल के रस या जड़ की छाल को तिल के तेल में उबालकर तेल को मस्तक (माथे) पर लेप करने से मस्तक पीड़ा या बार-बार होने वाली मस्तक पीड़ा मिटती है।
इन्द्रायण के फलों का रस या जड़ की छाल के काढ़े के तेल को पकाकर, छानकर 20 मिलीलीटर सुबह-शाम उपयोग करने से आधाशीशी (आधे सिर का दर्द), सिर दर्द, पीनस (पुराना जुकाम), कान दर्द और अर्धांगशूल दूर हो जाते हैं।

बच्चों की लंबाई

हर किसी की चाहत होती है कि अपने बच्चों की लंबाई अच्छी और आकर्षक हो। क्योकि अच्छी पर्सनालटी के लिए अच्छी लंबाई और सुडौल शरीर का होना बेहद जरूरी माना जाता है। लेकिन यह भी कैसी विडंबना है जो चीज़ हमारे पास होती है उसकी हमें कीमत समझ नही आती और जो चीज़ नही होती उसकी कमी खलती है। अच्छी हाइट से बच्चों की सुंदरता और व्यक्तित्व में निखार आता है। कई लोगों का यह मानना है कि लम्बाई जीन्स पर भी निर्भर करती है, जिस कारण लम्बाई बढ़ा पाना मुमकिन नहीं है। लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी कि कुछ ऐसे प्राकृतिक तरीके भी हैं जिनको अपनाकर आप अपने बच्चों की लम्बाई को 2 से 4 इंच तक बढ़ा सकते हो। हाइट कम होने की स्थिति में बड़े ही नही बल्कि बच्चें भी अपनी पर्सनालिटी में कुछ कमी सी महसूस करते है। ज्यादातर माता-पिता की यही धारणा होती है कि लंबाई केवल 18 साल तक ही बढ़ सकती है, लेकिन यह धारणा बिल्कुल गलत है। बच्चों कि शुरू से सही देख-भाल, नियमित रूप से व्यायाम, पौष्टिक आहार और कुछ नियमों का पालन करके हम अपने बच्चों की लम्बाई को 25 साल तक की उम्र में भी कुछ इंच तक बढा सकते है। क्योंकि कद बढ़ाने का प्रयास जितनी कम उम्र से शुरू किया जायेगा तो उसका फायदा भी जल्दी मिलेगा।

18 की उम्र तक लंबाई शीघ्र बढ़ती है, 25 की उम्र के बाद लंबाई बढ़नी बंद हो जाती है। क्योकि इस उम्र तक आते-आते शरीर के ग्रोथ हॉरमोन बंद हो जाते है। हमारे शरीर में लंबाई बढ़ाने का सबसे बड़ा योगदान ह्यूमन ग्रोथ हॉरमोन यानी एचजीएच का होता है। एचजीएच पिटूइटेरी ग्लैंड से निकलता है जिससे हमारी हाइट बढ़ती है। सही प्रोटीन और न्यूटिशन की कमी के कारण बच्चों के शरीर का विकास बंद या कम होने लगता है। अगर आप बच्चों का सही विकास चाहते हैं तो खान-पान का पूरा ध्यान रखना अभी से शुरु कर दें।

कुपोषण या बीमारी की वजह से भी बच्चो की लम्बाई बढ़ नहीं पाती। कुछ केस में बच्चे अपने माँ-पिता की हाइट के अनुसार हाइट गेन नहीं कर पाते, इसके पीछे हार्मोन्स बहुत बड़ा कारण है। शरीर में हार्मोन्स विकसित न होने तथा उचित आहार न मिलने के कारण शरीर का विकास नहीं हो पाता तथा जिसके कारण बहुत से बच्चों का कद छोटा रह जाता है। बहुत से ऐसे केस भी देखने में आये है माँ-बाप की लंबाई कम होते हुए भी बच्चे लंबाई में अच्छे होते है। इसलिए इस धारणा को पूरी तरह से सही नही माना जाता की माँ-बाप कि लंबाई पर बच्चों की लंबाई निर्भर है। बच्चों का सही कद सही देख-रेख पर निर्भर है।

बच्चों की लंबाई को लेकर अक्सर माता-पिता चिंतित रहते है। चिंतित होना भी स्वभाविक है क्योकि कई क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए ऊंचे कद की जरूरत होती है जैसे- पुलिस, मॉडलिंग तथा सैन्य जैसी सेवाओं में अच्छी हाइट का होना अनिवार्य है। हम यह नही कहना चाहते की कम हाइट वाले सफल नही होते क्योकि सफलता का मापदंड लंबाई से कतई नही है। सफलता तो बुद्धिमत्ता और मेहनत पर निर्भर होती है, जो कोई भी कद का व्यक्ति हासिल कर सकता है।

बढ़ते बच्चे कई सारे शारीरिक, हॉर्मोनल और मानसिक बदलाव से गुज़रते हैं। इसलिए माता-पिता का भी अपने बच्चों के प्रति चिंतित होना लाजमी है। लेकिन अब चिंता की कोई बात नही। यदि आप अपने बच्चे को लेकर परेशान हैं और बच्चें की लंबाई बढ़ाना चाहते हैं तो इस साइट पर हम आपको कुछ ऐसे उपाय दें रहे हैं जिन्हें आजमा कर आप बिना किसी साइड एफेक्ट के अपने बच्चों की लंबाई आसानी से बढ़ा सकते हैं। तो आइए जानते हैं ऐसे कुछ राज जो आपके बच्चों की लंबाई बढ़ाने में आपके मददगार साबित होंगे।

कैसा हो आहार –

पौष्टिक भोजन में मौजूद विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, मैग्नीशियम और फास्फोरस लम्बाई बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देते है। इसलिए स्वस्थ और पोषक आहार लें। कार्बोनेटेड पेय, संतृप्त वसा और अधिक चीनी लेने से परहेज करें, क्योंकि ये आपकी लम्बाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते है।

कैल्शियम- दूध, चीज, दही, पनीर, मक्खन इत्यादि।
मिनरल- पालक, हरीबिन्स, फलियां, ब्रोकोली, गोभी, कद्दू, गाजर, दाल, मूंगफली, केले, अंगूर इत्यादि।
विटामिन- दालें, अंडा, टोफू, सोया, मशरूम, बादाम इत्यादि।
प्रोटीन- मछली, दूध, चीज, बीन्स, मीट, दालें, मूँगफली, सोयाबीन, काजू, चिकन इत्यादि।

इनमें से जो भी आपका बच्चा पसंद करता हो उसके डाइट प्लान में शामिल करे। हर तरह के फूड ग्रुप वाले आहार बच्चें को दें। डाइट प्लान में कैल्शियम, मिनरल, आयरन, विटामिन और प्रोटीन की संतुलित मात्रा अवश्य हो। इसके अलावा खूब सारी सब्जियां और फल भी खिलायें। लंबाई को बढ़ाने के लिये इन आहारों को नियमित रूप से अपने बच्चों के आहार में शामिल करें। आपने सुना भी होगा “अच्छा खाओ और अच्छी सेहत पाओ ” तो फिर हमेशा एक अच्छी डाइट अपने बच्चें को दें। जंक फूड ज्यादा ना खिलायें। हेल्दी खाना खाने से ना केवल सुंदरता में निखार आता हैं बल्कि बच्चे की हड्डियाँ भी मजबूत होती हैं जो लंबाई बढ़ाने में मददगार है। हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी3 जरूरी है जो धूप में पाया जाता है। इससे बच्चों की स्किन और मांसपेशियों बहुत अच्छी हो जाती है।

योगा और व्यायाम कैसे हो-

सेहत और लंबाई के लिए बच्चों को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम लंबाई को बढ़ाने में सार्थक परिणाम दे सकता है। इसके लिये कुछ व्यायाम तो रोज घर पर ही कर सकते है जैसे लटकना, चलना, रस्सी कूदना, साइकलिंग, तैराकी। इसके अलावा योगा में ताड़ासन, भुंजगासन, शीर्षासन, सूर्य नमस्कार जैसे व्यायामों को रोज करें, इससे लंबाई में जल्द ही बढ़ोत्तरी होगी। क्योकि व्यायाम करने से मांसपेशियों में दबाब पड़ता है जिससे वो खीचती है और जिससे लबांई बढ़ने में मदद मिलती है। अच्छी सेहत के लिए बड़ों को भी नियमित व्यायाम करना चाहिए।

फ्रीक्वेन्ट मील-

ध्यान रखे बच्चे अधिक देर तक भूखे ना रहे। प्राकृतिक तरीके से लम्बाई बढ़ाने के लिए मेटाबॉलिज्म (चयापचय) का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। शरीर में ग्रोथ हार्मोन को बढाने के लिये दिन में 3 बार के अलावा 4-5 बार छोटे-छोटे मील बच्चों को खाने चाहिये। इससे चयापचय को मजबूत बनाया जा सकता है। बीच-बीच में स्वस्थ भोजन लेने से शरीर में कम वसा एकत्रित होगी और इस प्रकार आपके बच्चें प्राकृतिक रूप से अपनी लम्बाई को बढ़ा पाएंगे।

पर्याप्त नींद-

पर्याप्त नींद बहुत आवश्यक है क्‍योंकि सोते समय मासपेशियां और शरीर फैलता है। बच्चों को सिखाये गर्दन और सिर को हमेशा सीधा और तान कर रखे। यदि बच्चे हमेशा अपने सिर को झुका कर रखेगें तो स्‍पाइनल कार्ड दब जाएगा और पूरा शरीर छोटा लगने लगेगा। बच्चों को कम से कम 8 घंटे तक रोज़ सोना चाहिए। सोने का बिस्तर बड़ा हो जिससे बच्चे फैल कर सो पाएं। इस तरह से सोना बच्चों की बढ़ती उम्र के लिए अच्छा है क्योंकि उनकी हड्डियों और पूरे शरीर को बढ़ने में तंग जगह से रुकावट आ सकती है। वैज्ञानिक रीसर्च भी ये बताती है कि बच्चों के बेड बड़े होने चाहिए क्योंकि सोते समय भी बच्चा लंबाई खींचता है। पर्याप्त नींद लेने से लम्बाई को नियंत्रण करने वाले हार्मोन की वृद्धि होती है।

सही उपचार-

बच्चों का ख़ान-पान, सेहत और रोज़ की रूटीन का ध्यान रखते हुए भी आपके बच्चे का कद नही बढ़ रहा या हाइट बहुत ही छोटी रह गई है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि कई बार शरीर के कुछ अनदेखे हाव-भाव एक डॉक्टर ही आपको बता सकेगा और सही सुझाव भी दे पायेगा। जांच के दौरान बच्चों के हार्मोन में अगर कमी पाई जाती है तो बच्चों को हार्मोन के इंजेक्शन और दवा देकर बच्चों की हाइट बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। प्रोटीन या कैल्शियम की कमी होने पर सप्लिमेंट दिया जाता है। आप चाहें तो आयुर्वेदिक उपचार भी बच्चे का करवा सकते है। याद रहे अधिकतर बच्चों की लंबाई 18 से 20 वर्ष तक ही बढ़ती है। हाइट बढाने के लिये एंटीबायोटिक्‍स का सेवन ज्‍यादा नहीं कराना चाहिये, नहीं तो इसके अधिक प्रयोग से हाइट रुक भी सकती है। लंबाई बढाने के लिये बाजार में मिलने वाली दवाई और पाउडर का सेवन कतई ना करवाएँ, इसके कुछ साइड इफेक्‍ट्स भी हो सकते है। ये उपाय लम्बाई तो नहीं बढ़ाती, लेकिन आपके बच्चे को आलसी और निष्क्रिय जरूर बना देती है। इस प्रकार की दवाओं को कतई न दें।

कैसे रखे नियंत्रण-

आजकल ज्यादातर यही देखा जाता है बच्चे बचपन से ही बुरी लत के शिकार होकर अपने पूरे जीवन को खत्म कर देते है। इसलिये आप अपने बच्चों को शराब, सिगरेट जैसी लत से बचा कर रखें। लंबाई को बढ़ाने वाले आर्टिफिशियल हॉर्मोन के कैप्सूल का उपयोग बच्चों के शरीर और इम्यूनिटी पर बुरा असर डालते है। जिससे उनकी लंबाई और मानसिक वृद्धि भी रुक सकती है।

कोल्ड ड्रिंक्स, खटाई, ज्यादा मिर्च-मसाला, फास्ट फूड या जंक फूड के सेवन से दूर रखे, यह सेहत के लिहाज से सही नहीं है। बच्चों का वजन नियंत्रित रखें, क्‍यों‍कि अगर बच्चे का वजन उम्र के अनुसार कम है तो उसकी हाइट ठीक से नहीं बढ़ेगी। लेकिन मोटापा भी ना बढ़ पाये इसका भी ध्यान रखें। बच्चों में खूब पानी पीने की आदत डालें। बच्चों में बैठने, चलने और खड़े रहने की अनुचित मुद्रा हो इस बात का ख्याल बचपन से ही रखा जाना चाहिए। बच्चों को कंप्यूटर पर गेम खेलने के बजाय बाहर बास्केटबॉल, बैडमिंटन व टेनिस जैसे खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उनकी मांसपेशियां प्राकृतिक तरीके से मजबूत होती हैं और लंबाई बढ़ती है।

बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएँ। सब कुछ करने के बाद भी अगर आपके बच्चे का कद बहुत ज़्यादा नही बढ़ पाया है तो उसे मायूस होने से बचाएँ। उसे अपने लिए अच्छा महसूस करने को कहें और सचिन तेंदुलकर, रानी मुखर्जी, आमिर ख़ान, जया बच्चन जैसे छोटे कद के सफल लोगों की मिसाल देते हुए, उसका मनोबल बढ़ाएँ।

उपरोक्त हिदायतों के बाद आइये कुछ प्राकृतिक नुस्खों को भी जानें। कुछ ऐसे उपाय जो कद बढ़ाने में अचूक माने जाते है।

1. 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण व समान मात्रा में काले तिल, 3 से 5 खजूर को 5 से 20 ग्राम गाय के घी के साथ एक महीने तक खाने से लाभ होता है। इस चूर्ण का सेवन करते समय खटाई, तली चीजें न खायें और आंव की शिकायत होने पर अश्वगंधा न लें।

2. लम्बाई बढ़ाने हेतु नित्य 2 काली मिर्च के टुकड़े 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर बच्चों को खिला दें। देशी गाय का दूध कद बढ़ाने में विशेष रूप से सहायक होता है।

3. लम्बाई बढ़ाने के लिये सूखी नागौरी और अश्वगंधा की जड़ को कूटकर बारीक कर चूर्ण बना लीजिये। फिर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर कांच की शीशी में रखें। इस मिश्रण को रात को सोते समय रोज दो चम्मच गाय के दूध के साथ लें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना है। इस दौरान तेल की चीजों से परहेज करना जरूरी है। इससे कम कद वाले बच्चों की लम्बाई बढ़ाने में मदद मिलती है।

4. साथ ही साथ अपने डाइट चार्ट में ज्यादा से ज्यादा फल और मेवे शामिल करें। अखरोट की गिरी चालीस ग्राम की मात्रा में नियमित लेने से जल्द ही कद बढ़ जाता है।

5. अश्वगंधा और मिश्री का चूर्ण बना कर सुबह-शाम आधा-आधा चम्मच दूध के साथ लेने से जल्द ही लंबाई में बढ़ोतरी होती है। इस उपाय से रुकी हुई लंबाई भी बढ़ने लग जाती है।

6. गाजर, टमाटर और चुकंदर इस अनुपात में लें की एक गिलास जूस निकल जाये। ध्यान रखें इस जूस को शाम को एक बार 3 से 4 बजे के बाद ही पीना है।

7. आंवला को कैंडी या जूस के रूप में सेवन कर सकते है। इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि खनिज लवण प्रचुर मात्रा में होते है जो की शरीर के विकास एवं हाइट बढ़ाने में उपयोगी साबित होते है।

8. बच्चों को बचपन में ही गुड और प्याज को मिलाकर कुछ दिनों तक खिलाने से कद बढ़ने लग जाता है।

9. एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच गुड मिलाकर बच्चे को दिन में एक बार पिलायें, लंबाई में इज़ाफा होगा।

10. एक कटोरी दही, दाल या सब्जी में चुटकीभर चूना मिलाकर खाने से भी लंबाई में फायदा होता है।

उपरोक्त उपायों में से किसी भी उपाय को नियमित करें, आपको लाभ जरूर होगा। इन सब के अलावा कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें – बढ़ते बच्चों को दिन में सोने से रोके, गर्म रोटी के साथ ठंडा पानी या दूध ना दें, पानी खूब पिलायें, पेट साफ रखे इत्यादि। अन्य जडीबूटियां जैसे शतावरी, बला, गुडूची, अस्थि, श्रंखला, लाक्षा आदि आयुर्वेद चिकित्सक की देख-रेख में लेने से शरीर की ग्रोथ तथा लम्बाई में फायदा होता है। एलोपैथिक दवाइयों के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते है लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं के कोई साइड इफेक्ट नही होते। लंबाई बढ़ाने के लिए इन दिए हुए उपायों का फल तत्काल नही मिलता, इसके लिए संयम की आवश्यकता होती है। बाजार में बिकने वाले प्रलोभन से हमें दूर रहना चाहिए। लंबाई कभी एकदम से नही बढ़ सकती।

दोस्तो, आप इन नुस्खों और सही पोषण की मदद से निश्चित रूप से अपने बच्चों का कद सामान्य तक बढ़ा सकते है। बस इन नुस्खों को नियमित करें और थोडा धैर्य रखें। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कुछ समय के लिए हाइट बिल्कुल नहीं बढती और फिर अचानक 1 साल में ही काफी ग्रोथ हो जाती है। तमाम कोशिशों के बाद जो हाइट मिली हैं उससे संतुष्ट रहिये क्योंकि वो आपके शरीर की लम्बाई नहीं है जो आपके सफलता की ऊँचाई निर्धारित करती है। अपनी मेहनत और लगन से किसी भी कद का कोई भी इंसान बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल कर सकता है और दरअसल यही ज्यादा मायने भी रखता है।

किसी भी उपाय को करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें। किसी भी उपाय या नुस्खे को अपनी सूझ-बुझ से चुने। हमारा उद्देश्य आपका सामान्य ज्ञान को बढ़ाना है।

अलसी एक चमत्कारी आैषधि

अलसी के चमत्कारिक उपयोग – अलसी से सभी परिचित होंगे लेकिन उसके चमत्कारिक फायदे से बहुत कम लोग जानते हैं ।
अलसी, फ्लेक्स सीड्स, लिन सीड्स वगैरा विविध नाम से जानी जाती है ।

इसमें ओमेगा-3 फेटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। आयुर्वेदिक मत के अनुसार अलसी वातनाशक, पित्तनाशक तथा कफ निस्सारक भी होती है।

अलसी में रेशे भरपूर और शर्करा यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है ।

जानिए अलसी के चमत्कारिक उपयोग :-

ब्लड शुगर :

अगर किसी को ब्लड शुगर, (डायाबिटीज) की तकलीफ है तो आपके लिये अलसी किसी वरदान से कम नहीं है। अलसी में पाया जाने वाला लिगनेन कॉलेस्ट्रोल कम करता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है।

लिगनेन सचमुच एक सुपर स्टार पोषक तत्व है। सुबह खाली पेट २ चम्मच अलसी लेकर, २ ग्लास पानी में उबालें जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें ।

थाईराईड :

सुबह खाली पेट २ चम्मच अलसी लेकर २ ग्लास पानी में उबालें, जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें। यह दोनों प्रकार के थाईराईड में बढ़िया काम करती है।

हार्ट ब्लॉकेज :

३ महीने अलसी का काढ़ा उपर बताई गई विधि के अनुसार प्रयोग करने से आपको ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पड़ती।

लकवा, पैरालायसीस :

पैरालायसीस होने पर ऊपर बताई गई विधि से काढ़ा पीने से लकवा ठीक हो जाता है।

बालों का गिरना :

अलसी को आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरने बंद हो जाते हैं।

जोडों का दर्द :

अलसी का काढ़ा पीने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है। साईटिका, नस का दबना वगैरा में लाभकारी है।

अतिरिक्त वजन :

अलसी का काढ़ा पीने से शरीर का अतिरिक्त वजन दूर होता है। नित्य इसका सेवन करें, निरोगी रहें।

कैंसर :

अलसी में महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व लिगनेन होता है। अलसी लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। अलसी में लिगनेन अन्य खाद्यान्नों से कई सौ गुना ज्यादा होते हैं।

लिगनेन एन्टीबैक्टीरियल एन्टीवायरल एन्टी फंगल और कैंसर रोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। किसी भी प्रकार के कैन्सर में अलसी का काढ़ा सुबह-शाम दो बार पिऐं जिससे असाधारण लाभ निश्चित है।

एड्स :

एड्स रिसर्च असिस्टेंस इंस्टिट्यूट (ARAI) सन् 2002 से एड्स के रोगियों पर लिगनेन के प्रभावों पर शोध कर रही है और आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। ARAI के निर्देशक डॉ. डेनियल देव्ज कहते हैं कि जल्दी ही लिगनेन एड्स का सस्ता, सरल और कारगर उपचार साबित होने वाला है।

पेट की समस्या :

जिन लोगों को बार-बार पेट के जुड़े रोग होते हैं उनके लिये अलसी रामबाण इलाज है। अलसी कब्ज, पेट का दर्द आदि में फायदाकारक है।

बालों का सफेद होना :

3 महीने लगातार अलसी का काढा पीने से बाल सफेद होने रुक जाते हैं।

सुस्ती, आलस, कमजोरी :

अलसी का काढा पीने से सुस्ती, थकान, कमजोरी दूर होती है।

किसी भी प्रकार की गांठ :

सुबह शाम दो समय अलसी का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है।

श्वास-दमा कफ, ऐलर्जी :

अलसी का काढ़ा रोज सुबह शाम २ बार लेने से श्वास, दमा, कफ, ऐलर्जी के रोग ठीक हो जाते हैं।

हृदय की कमजोरी :

हृदय से जुड़ी किसी भी समस्या में अलसी का काढ़ा रामबाण ईलाज है।

अलसी रक्तचाप को संतुलित रखती है। अलसी रक्त में अच्छे कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाती है और ट्राइग्लीसराइड्स व खराब कॉलेस्ट्रॉल मात्रा को कम करती है।

यह दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है और हृदयाघात व स्ट्रोक जैसी बीमारियों से बचाव करती है।

अलसी सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों के कारण अकस्मात मृत्यु नहीं होती।

हृदय की गति को नियंत्रित रखती है और वेन्ट्रीकुलर एरिद्मिया से होने वाली मृत्युदर को बहुत कम करती है।

जिन लोगों को ऊपर बताई गई समस्या में से १ भी तकलीफ है तो आपके पास इसका रामबाण ईलाज के रुप में अलसी का काढा है।

महिलाओं के लिए अलसी एक चमत्कारी औषधि

लिगनेन पेड़ पौधों में ईस्ट्रोजन यानी महिला हारमोन के तरह कार्य करता है।

रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ईस्ट्रोजन का स्त्राव कम हो जाता है और महिलाओं को कई परेशानियां जैसे हॉट फ्लेशेज़ ओस्टियोपोरोसिस आदि होती हैं।

लिगनेन इन सबमें बहुत राहत देता है। लिगनेन मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं ठीक करता है।

यदि मां के स्तन में दूध नहीं आ रहा है तो उसे अलसी खिलाने के 24 घंटे के भीतर स्तन में दूध आने लगता है।

अलसी का सेवन करने से उसके दूध में पर्याप्त ओमेगा-3 रहता है और बच्चा अधिक बुद्धिमान व स्वस्थ्य होता है।

मानव त्वचा को सबसे ज्यादा नुकसान मुक्त कणों या फ्री रेडिकलस् से होता है। हवा में मौजूद ऑक्सीडेंट्स के कण त्वचा की कोलेजन कोशिकाओं से इलेक्ट्रोन चुरा लेते हैं।

परिणाम स्वरूप त्वचा में महीन रेखाएं बन जाती हैं जो धीरे-धीरे झुर्रियों व झाइयों का रूप ले लेती है त्वचा में रूखापन आ जाता है और त्वचा वृद्ध सी लगने लगती है।

अलसी के शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक कोमल नम बेदाग व गोरा बनाते हैं।

स्वस्थ त्वचा जड़ों को भरपूर पोषण दे कर बालों को स्वस्थ चमकदार व मजबूत बनाती हैं।

सेक्स संबन्धी समस्याओं के लिए सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित

आपका हर्बल चिकित्सक आपकी सारी सेक्स सम्बंधी समस्याएं अलसी खिला कर ही दुरुस्त कर देगा क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है।

सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है।

कैसे बनायें काढ़ा :

2 चम्मच अलसी + 3 ग्लास पानी मिक्स करके उबालें। जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें।

ध्यान रखें :

अलसी के चमत्कारिक उपयोग तो हैं, पर इसके उपयोग में कुछ सावधानियाँ आवश्यक हैं जब भी आप पहली बार अलसी का सेवन कर रहे हो तो सबसे पहले अलसी के पांच दाने खाकर 24 घंटे तक देखें। यदि आपको इससे खुजली या शरीर पर चित्ते उभर आयें तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अलसी के बीज का अधिक मात्रा में सेवन करने से आंत में रुकावट पैदा हो सकती है।

अलसी में उपलब्ध ओमेगा 3 रक्त को पतला करता है।

यदि आप खून को पतला करने के लिए किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो आपको इसके साथ अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।

पाचन शक्ति बलवान न होने पर इसके सेवन से फाइबर की अधिक मात्रा को पचाना मुश्किल हो जाता है।

डायबिटीज की दवा के साथ अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शुगर लेवल कम हो जाता है।

जिन लोगों का ब्लडप्रेशर लो होता है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

इसका सेवन करने से गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो सकता है।

छींक - allergy in hindi

छींक आना ( Sneezing)

छींक आना असल में प्रकृति का सफाई करने का एक तरीका है। इस प्रक्रिया में नाक में घुसने वाले बाहरी कणों की सफाई की जाती है। आँख झपकने या साँस लेने की प्रक्रिया जिस तरह अपने आप चलती रहती हैं पर हम चाहें तो कुछ समय  के लिए इन पर कंट्रोल कर सकते हैं। उसी प्रकार छीक की क्रिया भी अपने आप होती है पर कुछ हद तक इस पर कंट्रोल कर सकते हैं। छीक आने की प्रक्रिया में पीछे की तरफ जीभ कुछ इस प्रकार ऊँची हो जाती है कि फेफड़ों से निकलने वाली हवा मुँह से नहीं निकलती बल्कि नाक से निकलती है।

कारण –  Cause Of Sneeze

छींक आने के कई कारण हो सकते हैं ।  जब नाक में किसी कारण से सरसराहट सी पैदा होती है तो छीक आने लगती है। किसी अन्य कारण से दिमाग को इस प्रकार के संकेत जाने पर भी छींक आ सकती है। कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं :

  • नाक में बाहरी कण जैसे – धूल के कण, पराग कण  या पशु की रुसी आदि जाने से छींक आने लगती है।
  • तापमान में अचानक आने वाली ठंडक छीक ला सकती है , ठंडी हवा लगने से छीक आ सकती है।
  •  सर्दी जुकाम नाक की झिल्ली में सूजन लाकर नाक को ज्यादा संवेदनशील बना देता है। इसलिए छींक ज्यादा आती है।
  • नाक बहने या नाक बंद होने के कारण भी छींक आ सकती है।
  • वायरल इन्फेक्शन होने पर भी छींकें आती हैं।
  • एलर्जी के कारण भी यह हो सकता है।
  • किसी किसी को विशेष कारण जैसे किसी गंध , पेड़ पौधे या पशु से एलर्जी होने के कारण छींक आनी शुरू हो जाती है।
  • एकदम से चमकीली रोशनी में आने पर या सूरज की तरफ देखने पर भी छींक आने लगती है।
  • किसी-किसी को एक अजीब सी समस्या होती है उन्हें खाना खाने के बाद पेट भरने का संकेत के रूप में छींक आनी शुरू हो जाती हैं।

आइये जानते है क्या है वे उपाय जिनके द्वारा बार-बार छींक आने की समस्या से निजात पाई जा सकती है.

पिपरमेंट का तेल :-

अगर आपको बार-बार छींक आने की समस्या है तो आप इससे निजात पाने के लिए पिपरमेंट का तेल प्रयोग कर सकते हैं ।

इसमें पाये जाने वाले Anti Bacterial  गन आपकी समस्या को जड़ से ख़त्म करने में मदद करेंगे ।

इसके लिए किसी बड़े बर्तन में पानी उबाल लें, अब इसमें 5 बूंद पिपरमेंट तेल डालें ।

किसी तौलिये की मदद से अपने सर को ढक लें और इस पानी की भाँप लें ।

यकीन मानिए इस उपचार से आपको छींक आने की समस्या में आराम मिलेगा ।

सौंफ की चाय :-

छींक के साथ-साथ श्वास संबंधी अन्य समस्यायों में भी फायदेमंद मानी जाती है सौंफ ।

प्रकृति की इस देन में भी कई एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते है जो आपकी समस्या को ठीक करने में मदद करते है ।

बार-बार छींक आने की समस्या में इसका प्रयोग करने के लिए एक कप पानी को उबालकर उसमे दो चम्मच सौंफ पीसकर डालें ।

लगभग 10 मिनट तक पानी को ढक कर रखे और बाद में छानकर पी लें । इस का सेवन दिन में दो बार करें ।

आपकी समस्या चुटकियो में हल हो जाएगी ।

काली मिर्च

ये केवल दिखने में ही अजीब होती है लेकिन स्वास्थ्य के प्रति इसके फायदों को जानकर आप हैरान हो जायेंगे ।

आपके खाने को स्वादिष्ट बनने वाली काली मिर्च आपकी बिमारियों को ठीक करने में भी सक्षम है ।

यदि आप भी बार-बार छींक आने की समस्या से ग्रसित है तो गुनगुने पानी में आधा चम्मच काली मिर्च डालकर उसे मिला लें ।

अब इस मिश्रण को दिन में कम से कम दो से तीन बार पियें. आप चाहे तो काली मिर्च के पाउडर को पानी में उबालकर गरारे भी कर सकते है ।

अदरक :-

न केवल छींक बल्कि सर्दी जुखाम और खासी की समस्या में भी ये एक अच्छा उपाय है विशेषकर नाक से सम्बंधित समस्याएं. यदि आपको भी छींक बहुत परेशान करती है तो एक कप पानी में थोड़ा सा अदरक डालकर उबाल लें. हल्का गुनगुना रह जाने पर इसमें शहद मिलाकर पियें. आप चाहे तो कच्ची अदरक या अदरक की चाय भी ले सकते हैं ।

लहसुन :-

लहसुन में पाए जाने वाले एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण न केवल आपको श्वास संबंधी बिमारियों से बचाते है अपितु उसे ठीक करने में भी मदद करते है ।

इसके अलावा श्वास संबंधी संक्रमण होने पर भी ये बहुत लाभकारी होता है.

यदि आपको भी बहुत छींके आती है तो लहुसन आपकी इस समस्या को हल करने में आपकी मदद कर सकता है.

इसके लिए पाँच से छह लहसुन की कलियों को पीसकर उनका पेस्ट बना लें और उन्हें सूंघे. इसके साथ ही दाल और सब्जी बनाने में भी लहसुन का प्रयोग करें ।

अजवाइन :-

अजवाइन की पत्तियों के तेल में बैक्टीरिया और विषाणुओ से लड़ने की तेज़ क्षमता पायी जाती है. इसके साथ ही ये एलर्जी को ठीक करने में भी बेहद मददगार उपाय है.

इसके लिए अजवाइन के तेल की दो से तीन बूंद का रोजाना इस्तेमाल करें. समस्या में आराम मिलेगा.

मैथी के बीज :-

मेथी में पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल गुण आपकी लगातार छींको का उपचार करने में मददगार हो सकते है. क्योकि ये छींक का उपचार कर श्लेष्मा झिल्ली को शांत करता है.

इसके लिए पानी में दो चम्मच मेथी दाने मिलाकर उसे उबाले. अब इस मिश्रण का सेवन करें.

समस्या ठीक न होने तक दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करते रहे फ़ायदा मिलेगा.

कैमोमाइल चाय :-

एलर्जी की समस्या को ठीक करने के लिए कैमोमाइल चाय एक अच्छा उपाय है. इसमें मौजूद एंटी हिस्टामाइन गुण छींक की समस्या में आराम देने में सहायता करता है.

इसके लिए उबलते हुए पानी में एक चम्मच कैमोमाइल के सूखे फूल को मिलाएं और कुछ देर तक उबलने दे. अब इसमें एक चम्मच गाढ़ा शहद मिलाएं. इसके बाद पानी को निकाल लें और दिन में दो बार इसका सेवन करें.

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हरे धनिया के पत्ते और सफेद चन्दन का बुरादा –

हरे धनिया के पत्ते और सफेद चन्दन का बुरादा दोनों को पीसकर सुंघाने से अधिक छींकों का आना बन्द हो जाता है। दोनों को पीसकर सुंघाने से अधिक छींकों का आना बन्द हो जाता है।

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सर्दी में जुखाम खांसी गले में खराश ठीक करने के घरेलू उपाय

दाँत दर्द

दांत दर्द होने के कारण

कैविटी –

कैविटी आपके दांत के विभिन्न भागों में होने वाले छोटे छेद हैं, जो मुंह की उचित सफाई न होने के कारण दांतों की सड़न के कारण उत्पन्न होते हैं जिसके कारण दांतों में दर्द होने लगता है.

दांतों का इन्फेक्शन –

दांतों का इन्फेक्शन होने के कारण दांतों में खराबी होने लगती है. इन्फेक्शन दांतों को प्रभावित करता है. जिसके कारण दांत सड़ने लगते हैं. दांतों के सड़ने से दांत में दर्द होने लगता है.

अच्छी तरह ब्रश ना करना –

दांतों की अच्छी तरह सफाई न करने पर उन पर परत जम जाती है. जिसके कारण दांतों में दर्द होने लगता है.

अधिक मीठा खाना – 

कई लोग अधिक मीठा खाने के शौकीन होते हैं. अधिक मीठे व्यंजन के ज्यादा सेवन से दांतों में दर्द होने लगता है.

दांत दर्द दूर करने के उपाय

लहसुन का प्रयोग

दांत में दर्द होने पर लहसुन की एक कली लें. अब इस कली को नमक में डालकर चबाएं. रोज सुबह लहसुन की एक कली चबाने से दांत मजबूत बनते हैं तथा दांतों का दर्द कम होने लगता है.

प्याज के फायदे

रोजाना एक कच्चा प्याज खाने से दांतों के दर्द में बहुत ही आराम मिलता है. हो सके तो हर तीन मिनट में प्याज की एक स्लाइस खाये इससे दांत के दर्द से जल्दी ही आराम मिलेगा.

नींबू का सेवन

निम्बू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जिससे दांत के दर्द को कम किया जा सकता है. दांतों के दर्द वाले हिस्से पर नींबू का कतरा लगाए. इससे दांत दर्द आसानी से कम होने लगेगा.

लौंग के फायदे

दांतों में दर्द होने पर लौंग बहुत ही फायदेमंद होता है. इसके लिए आप मुंह में लौंग रखे. इससे आपके दांत दर्द में आराम मिलता है. इसके अलावा आप लौंग के तेल को भी दर्द वाले दांत में डाल सकते हैं.

काली मिर्च पाउडर का सेवन

दांत दर्द को ठीक करने के लिए एक चौथाई चम्मच नमक में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर को मिला लें. अब इस मिश्रण को जिस दांत में दर्द हो वह लगा दें. कुछ ही देर में दांत का दर्द ठीक होने लगेगा.

आलू का फायदा

यदि दांत दर्द होने के कारण दांतों में सूजन आ जाए तो एक कच्चे आलू को छीलकर उसकी एक स्लाइस को सूजन वाले स्थान पर रखे. 15 मिनट तक इस स्लाइस को दर्द वाले स्थान पर ही रखे. इससे आपको आराम मिलेगा.

बर्फ के फायदे

दांत में दर्द होने पर दांतों के दर्द वाले हिस्से पर 15 से 20 मिनट तक बर्फ से सिकाई करें. दिन में अधिक से अधिक बार बर्फ से दांतों की सिकाई करें. इससे आपको आराम मिलेगा.

सरसो का तेल है फायदेमंद

दांतों में दर्द होने के कारण हमें अनेक प्रकार की परेशानी होने लगती है इसके लिए आप सरसो के तेल की कुछ बूंदों में थोड़ा नमक डालकर मिश्रण बना लें. अब इस मिश्रण से मसूड़ों की मसाज करें. इससे दांत दर्द से आराम मिलता है साथ ही मसूड़े भी मजबूत होने लगते हैं.

दांत के कीड़े

द्रोणपुष्पी (गोमा, गूमा) के पत्तों का रस, समुद्रझाग, शहद और तेल- चारों समभाग लें।
समुद्रझाग को बारीक पीस लें, फिर चारो वस्तुओं को मिला लें।
इसे 2-3 बूंद कान में टपकाने से दाढ़-दांत के कीड़ें मर जाते हैं।
पाठकगण! है न आयुर्वेद की चमत्कारी दवा? दवा कान में डाली जाती है और कीड़ें दाढ़ के मरते हैं।
अजवायन और वच समभाग मिलाकर इसमें से आधा ग्राम दवा रात्रि में दाढ़ों के नीचे रखकर सो जाना चाहिये।
दांत में कीड़ा लगने और दांत-दर्द की उत्तम दवा है।

दांत दर्द

दूध में घी मिलाकर पिलाओ, दांत-दर्द, तुरन्त दूर होगा। एक सन्यासी का बताया हुआ टोटका है।

आक (आकौड़ा, मदार) की टहनियों को सुखाकर कोयला बना लें, फिर बारीक पीस लें। बस दवा तैयार है। सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर मलें। थोड़ी देर तक राल बहने दें। फिर गर्म पानी से कुल्ले कर लें।

प्रात-सांय दोनों समय इस मन्जन का प्रयोग करें। दांतो का दर्द, चीस और पानी लगना एक सप्ताह में समाप्त हो जायेगा। पीले और मवाद भरे मसूड़े मजबूत हो जाएंगे। दांत मोती की भांति चमकने लगेंगे।

फिटकरी और लौंग समभाग पीसकर दांतां पर मलें। दाढ़-दांत के दर्द के लिये रामबाण है।

हल्दी 3 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, अमरूद के पत्ते 4- सबको आधा किलो पानी में खून उबालें। फिर इस सुहाते हुए पानी से कुल्ले करें। 15 मिनट तक कुल्ले करते रहें। दाढ़-दांत के दर्द का नाम तक नहीं रहेगा।

हींग को गर्म करके दाढ़ के नीचे दबाने से कृमि (कीड़े) के कारण होने वाला दाढ़ का दर्द शीघ्र नष्ट हो जाता है।

दांतो का हिलना

नागरमोथा, हरड़ का छिलका, सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, बायबिड़ंग, नीम के पत्ते-

सभी वस्तुएं बराबर-बराबर लेकर बारीक पीस लें। फिर गोमूत्र में 2-3 दिन तक खरल करके 1-1 ग्राम की गोली बना लें। रात्रि में सोते समय एक गोली मुंह में रखने से हिलते हुए दांत दृ़ढ़ हो जाते हैं। अद्वितीय और परीक्षित प्रयोग है।

कालीमिर्च, बादाम के छिलके का कोयला एवं अफीम –

कालीमिर्च 10 ग्राम, बादाम के छिलके का कोयला 10 ग्राम पीसकर, अफीम 1 ग्राम, हरताल बर्कियः 1 ग्राम- सबको अत्यन्त बारीक पीसकर दांतों और मसूड़ों पर मलें और दो-तीन घण्टे तक कुल्ला न करें। इस मंजन से बूढ़ों के हिलते हुए दांत भी दृढ़ हो जाते हैं।

हल्दी और अजवाइन –

साबुत हल्दी को जलाकर कोयला करके पीस लें,

फिर समभाग अजवायन भी पीसकर मिला लें।

इसे मंजन की भांति दांतों पर मलें। रात टपकने दें।

कुछ दिन के प्रयोग से हिलते हुए दांत मजबूत हो जाएंगे।

राल-

राल को पीसकर रात्रि में दांतों पर मलें, राल छोड़ दें, फिर बिना कुल्ला किये ही सो जायें।

40 दिन में दांतों का हिलना बन्द हो जायेगा।

माजूफल का मंजन –

माजफूल को बारीक पीसकर मंजन करना हिलते हुए दांतों की अद्वितीय औषधि है।

सुपारी को जलाकर उसकी राख बना लें, फिर इस राख से तीन गुनी चाक-मिट्टी मिला लें और शीषी में भर लें। इसे प्रतिदिन मंजन के रूप में प्रयोग करें, हिलते हुए दांत और मसूड़े दृढ़ होंगे।

कीकर (बबूल) के बीजों को छाया में सुखाकर मंजन बना लें और प्रतिदिन दांतों पर मंजन किया करें। हिलते हुए दांत मजबूत होंगे। दांतों का दर्द भी दूर होगा।

रीठे का छिलका

रीठे का छिलका 100 ग्राम लेकर इसे साफ लोहे की कड़ाही में जला लें, फिर इसमें भुनी हुई फिटकरी समभाग मिलाकर बारीक पीस लें। इस मंजन को प्रातः-सांय दांतों पर मलें। आधा घण्टा पश्चात् कुल्ला करें। दांत दीर्घायु तक दृढ़ और साफ रहेंगे।

शहद शुद्ध, सिरका उत्तम- प्रत्येक 20-20 ग्राम, फिटकरी भुनी हुई 10 ग्राम, कालीमिर्च 3 ग्राम। फिटकरी और कालीमिर्च को बारीक पीसकर शहद और सिरका में मिला लें।

इस चटनी को प्रतिदिन प्रातः-सांय दांतों पर मलें। इसके प्रयोग से दांतों का दर्द, दांतों का हिलना, दांतों के कीड़ें, पायोरिया, दांतों का मैल आदि समस्त दन्त रोग दूर हो जाते हैं ।

जुखाम

यह तो आप सभी जानते है कि सर्दियों के मौसम की शुरुआत होते ही लोगों को सर्दी, जुखाम, खांसी, गले में खराश आदि समस्याएं होने लगती हैं, जो 1 या 2 दिन के लिए नहीं बल्कि 1 हफ्ते तक तो चलती ही हैं  क्योंकि एक मात्र यही ऐसा मौसम होता है जिसमे बीमारी कम होने की बजाय और अधिक बढ़ जाती है।

यूँ तो सभी अपनी अपनी क्षमता और सूझ बूझ के अनुसार इनसे बचने और राहत पाने के उपचार करते रहते है लेकिन कई बार ढेरों उपाय / इलाज करने के बाद भी कोई फायदा नहीं होता। ऐसे में केवल घरेलू उपाय ही एकमात्र ऐसा उपाय है जो समस्या को जड़ से खत्म कर देता है और वापस भी नहीं देता।

जी हां, अगर आप भी अक्सर सर्दियों के समय अपनी बीमारियों से परेशान रहते है तो एक बार इन उपायों का इस्तेमाल करके अवश्य देखें।

सर्दी में जुखाम खांसी गले में खराश और टान्सिल्स के लिए आसान उपाय –

हल्दी :-

एक कप दूध में 1 चम्मच हल्दी डालकर गर्म करें और फिर जरा-सी शक्कर डालकर पिला दें। कैसा भी जुखाम हो शर्तिया लाभ होगा।

अदरक :-

अदरक 6 ग्राम, तुलसी के पत्ते 10, कालीमिर्च 7, लौंग 5 – सबको जरा-सा कूट लें, फिर 1 कप पानी में डालकर उबालें। उबल जाने पर उतारकर छान लें और शक्कर मिलाकर पिला दें। दूध न डालें। खांसी और जुखाम में लाभ होगा।
चनों को भूनकर गर्म-गर्म सूंघे, जुखाम के लिये लाभदायक है।

काली मिर्च:-

कालीमिर्च 7 दाने, गुलबनफ्शा 7 ग्राम- दोनों को 250 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी रह जाए तब उतार लें। जब पीने योग्य हो जाए तब छानकर और चीनी मिलाकर पिला दें। दवा पिलाकर कम्बल उढ़ाकर सुला दें। थोड़ी देर में पसीना आकर तबियत ठीक हो जाएगी, जुखाम पक जाएगा। साधारण खांसी भी दूर हो जाएगी।

लौंग:-

लौंग 3 नग लेकर 100 ग्राम पानी में पकाएं। जब आधा पानी रह जाए तब उतार लें और जरा-सा नमक डालकर पिला दें, जुखाम ठीक हो जाएगा।

कपूर, नौषादर और चूना-

तीनों को समभाग लेकर शीशी में रक्खें। ढक्कन कसकर लगा दें। जब आवश्यकता हो तब शीशी को जोर से हिलाकर सूंघें, बन्द हुआ जुखाम खुल जाएगा और सिर-दर्द दूर हो जाएगा।

रीठे का छिलका और कायफल :-

रीठे का छिलका और कायफल – दोनों को बराबर-बराबर लेकर बारीक पीस लें। बस, दवा तैयार है। इसके नाक में सूंघने से छींक आकर सर्दी, जुखाम, सिर-दर्द और आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।

सोंठ, कालीमिर्च, पीपल:-

तीनों को समभाग लेकर कूट-पीस लें, फिर चौगुना गुड़ मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। 1-1 गोली दिन में तीन बार ताजा पानी से दें। इन गोलियों के सेवन से सिर का भारीपन, कफ और जुखाम ठीक हो जाता है।

मुलहठी, गुलबनफ्शा असली, अजवायन देशी :-

तीनों समभाग लेकर बारीक पीस लें। डेढ़-डेढ़ ग्राम दवा प्रातः-सांय गुनगुने पानी से खिलाएं। नजला, जुखाम, इन्फ्लुएन्जा के लिये अतीव गुणकारी है। जुखाम के कारण होने वाली खांसी भी दूर हो जाती है।

अलसी के बीज, टाँन्सिल में गुणकारी :-

  • अलसी के बीज 50 ग्राम, घी एक चम्मच, पानी 500 ग्राम। अलसी के बीजों को कूट लें, फिर सबको मिलाकर पुलटिस बना लें और सुहाती-सुहाती गले पर बांधें।
  • गले में कैसा ही दर्द हो, सूजन हो, आवाज बैठ चुकी हो, टाँन्सिल बढ़ गये हों – सभी के लिये अद्वितीय दवा है। खुष्क खांसी तो पहले ही दिन समाप्त हो जाती है। आवश्यकतानुसार 5-7 दिन बांधें।
  • मिट्टी का तेल आधा लीटर, हल्दी बारीक पिसी हुई 50 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम बारीक पिसी हुई, मुष्क काफूर 50 ग्राम – सब दवाओं को मिलाकर 3-4 घण्टे धूप में पड़ा रहने दें। 24 घण्टे पश्चात् छान लें और फुरेरी से गले में लगाएं।
  • बढ़े हुए टाँन्सिलों के लिये अनुपम इलाज है। पुराने टाँन्सिल भी बिना आॅपरेषन के ठीक हो जाते हैं। इसे मसूड़ों पर लगाने से उनका दर्द भी मिट जाता है। उच्चकोटि का योग है।
  • उपले (कण्डे) की राख 10 ग्राम लेकर इसे आक (मदार, अकवन, आकौड़ा) के दूध में तर कर दें। एक-दो दिन में जब दूध सूख जाए तब छान लें और इसकी नसवार लें। छीकें आकर बन्द जुखाम खुल जाएगा।